Vrindavan Holi 2024: होली मनाने बांकेबिहारी मंदिर जानें वाले श्रद्धालुओं को बड़ा झटका
मंदिर प्रशासन ने वृंदावन स्थित बांकेबिहारी मंदिर में गुलाल ले जानें पर पहली बार रोक लगा दी है।
वृन्दावन, Vrindavan Holi 2024: होली का त्योहार आने में अब सिर्फ दो से तीन दिन ही बचे हैं. देशभर में होली की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. मथुरा और वृन्दावन की होली पूरी दुनिया में मशहूर है. दुनिया भर से लोग यहां होली मनाने आते हैं। रंगों के त्योहार से एक महीने पहले से ही यहां काफी उत्साह रहता है। इस बार बांके बिहारी मंदिर प्रशासन ने भक्तों के लिए बड़ा फैसला लिया है.
मंदिर प्रशासन ने लिया बड़ा फैसला
बांकेबिहारी मंदिर होली: पहली बार मंदिर प्रशासन ने वृन्दावन स्थित बांकेबिहारी मंदिर में गुलाल के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. मंदिर प्रशासन के मुताबिक श्रद्धालु मिलावटी, केमिकल और सिलेंडर वाले रंगों का इस्तेमाल कर रहे हैं जो ठीक नहीं है. प्रशासन ने 24 मार्च तक मंदिर परिसर में केमिकल युक्त नकली गुलाल और सिलेंडर रंगों को लाने और उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके लिए मंदिर के प्रवेश द्वार पर सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए हैं।
मंदिर प्रशासन ने इस वजह से लिया फैसला
बांके बिहारी मंदिर होली: मंदिर प्रशासन के मुताबिक, नकली गुलाल और केमिकल युक्त सिलेंडर रंग दर्शनार्थियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। भक्त मंदिर में आते हैं और नकली गुलाल उड़ाते हैं। इससे मंदिर परिसर में दम घुटने लगता है जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. इसके चलते गुलाल लाने पर रोक लगा दी गई है
फाल्गुन की शुरुआत के साथ ही बृज में होली की शुरूआत हो जाती है
फाल्गुन का महीना शुरू होते ही ब्रज में होली बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। रंगों वाली होली 25 मार्च से खेली जाएगी लेकिन मथुरा-वृंदावन की गलियों में होली की शुरुआत हो चुकी है. सबसे पहले लड्डू मार होली, लट्ठमार होली, फूलों वाली होली खेली गई। इन अलग-अलग तरह की होली का आनंद लेने के लिए लाखों श्रद्धालु आए हैं. इन श्रद्धालुओं के लिए काफी तैयारियां भी की गई हैं.
करीब तीन घंटे पहले खोले गए थे मंदिर के दरवाजे
बांकेबिहारी मंदिर होली: होली के मौके पर बांकेबिहारी मंदिर को खास तरीके से सजाया गया है. मंदिर के रंग में डूबने के लिए भक्तों की कतारें मंदिर खुलने के समय से कई घंटे पहले ही लगनी शुरू हो जाती हैं. रंगभरी एकादशी पर मंदिर के पट सुबह 8.45 बजे खुलने के बजाय शाम 5.50 बजे खोले गए. इसके बाद सोने की पिचकारी से भक्तों पर टेसू के रंगों की वर्षा की गई।